पित्ताशय की पथरी: बिना ऑपरेशन आयुर्वेदिक उपचार Gallbladder Stones: Without Operation Ayurvedic Treatment
- वर्तमान में पित्ताशय (Gallbladder) या पित्त (Bile) की थैली में पथरी (Stone) बनने की समस्या तेजी से बढती जा रही है।
- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (Modern Medical Science) के 100 फीसदी डॉक्टर पित्त पथरी का एक मात्र इलाज ऑपरेशन ही बतलाते हैं।
- जबकि देशी जड़ी-बूटियों और होम्योपैथी की मदद से 90% मामलों में पित्त पथरी की तकलीफ से बिना ऑपरेशन (Without Operation) के भी मुक्ति पायी जा सकती है।
- संपूर्ण विश्व की कुल आबादी में से 17 प्रतिशत लोगों के पित्ताशय यानी गॉल ब्लैडर में गॉल ब्लैडर स्टोन या स्टोन के लक्षण पाए जाते हैं।
- गॉल ब्लैडर स्टोन यानी पित्ताशय में पथरी के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं।
- सामान्यत: 30 से 50 साल की महिलाओं के पित्ताशय में पथरी ज्यादा पायी जाती है।
- भारत के संदर्भ में किये गये अध्ययनों की बात करें तो महिलाओं में जहां इस रोग की उपस्थिति तीन गुना ज्यादा होती है।
- वहीं दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी और मध्य भारत के लोगों के पित्ताशय में पथरी 7 गुना ज्यादा पायी जाती है।
पित्ताशय, पित्त की थैली या गाल ब्लैडर (Gallbladder) क्या है?
शरीर में नाशपाती के आकार का थैलीनुमा यह अंग लीवर (Lever) के नीचे पाया जाता है। सामान्यतः इसका कार्य पित्त को संग्रहित यानी इकट्ठा करना एवं उसे गाढ़ा करना होता है।
आम धारणा के विपरीत पित्ताशय स्वयं पित्त नहीं बनाता है।
अर्थात पित्ताशय पित्त का निर्माण नहीं करता है।
बल्कि पित्ताशय का कार्य पित्त को संग्रहित करके, उसे गाढ़ा करना है।
जो वसायुक्त खाद्य पदार्थों को तोड़ने और उनको पचाने के लिए काम आता है।
पित्त क्या होता है और इसका उपयोग क्या है?
पित्त का स्वरूप:
पित्ताशय की पथरी क्या होती है और क्यों बनती है?
- अगर पित्त में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल हो या बहुत अधिक बिलीरुबिन हो या पित्त में पर्याप्त पित्त लवण/नमक नहीं हो तो पित्त गाढा होकर सूख जाता है और पित्ताशय की पथरी बन जाती है।
- वैश्विक स्तर पर इस बारे में शोधरत, शोधकर्ताओं को अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आया है कि पित्त में इस तरह के परिवर्तन क्यों होते हैं। अर्थात कोलेस्ट्रॉल एवं बिलीरुबिन क्यों बढते हैं या पित्त लवण की कमी क्यों होती है।
- मगर मूलत: इन कारणों से पित्ताशय की थैली में पथरी बन सकती है। यदि पित्ताशय पूरी तरह से या अक्सर पर्याप्त खाली नहीं होता है तो कुछ लोगों को पित्ताशय की पथरी बनने के जोखिम वाले कारकों के कारण, दूसरों की तुलना में पित्ताशय की पथरी होने की संभावना अधिक होती है।
पित्ताशय में पथरी बनने के कारण:
- ऐसा माना जाता है कि कम कैलोरी लेने, तेजी से वजन घटाने वाला भोजन करने तथा लंबे समय तक भूखे रहने से गॉल ब्लैडर सिकुड़ना बंद हो जाता है और इस वजह से पित्ताशय में जमा पित्त सूखने लगता है, जिससे पथरी विकसित होने लग सकती है।
- पित्तपथरी और मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन तथा हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया (Hypercholesterolemia) जैसे लाइफस्टाइल रोगों के बीच एक गहरा ताल्लुक होता है।
- कुछ प्रकार के आहार भी पित्त पथरी के लिये जिम्मेदार हैं।
- जब पित्त पथरी विकसित होने लगती है तो पित्त पथरी, पित्त नलिकाओं को अवरुद्ध कर देती है, जिससे पित्ताशय की थैली में दर्द का दौरा पड़ सकता है।
तरल पित्त, पित्त पथरी में क्यों परिवर्तित होता है?:
पित्ताशय में पथरी होने के प्रमुख लक्षण:
- 1. पित्ताशय में पथरी होने पर भी बहुत से मामलों में जीवनपर्यन्त किसी प्रकार के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं।
- 2. पित्ताशय में सूजन आ जाती है। जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को बिना कोई कारण हल्का या कभी-कभी तेज बुखार रहने लगता है।
- 3. रोगी को अपना यकृत एवं पित्ताशय बढा हुआ अनुभव होता है। जिसे छूने पर पित्ताशय के स्थान पर उदर में दाईं तरफ दर्द होता है। साथ ही पित्ताशय में बिना छुए भी दर्द होता रहता है।
- 4. पित्ताशय में पित्त इकठ्ठा हो जाने के कारण, पित्तविसर्जन नली में, पथरी के कारण रुकावट आ जाती है। जिसके कारण पीलिया (Jaundice) हो जाता है। अकसर पीलियाग्रस्त लोगों को पित्त पथरी होने की सम्भावना बनी रहती है।
- 5. जी मिचलाता रहता है। रोगी बार-बार उलटी/वोमिट (Vomit) करना चाहता है, लेकिन उसे उलटी होती नहीं है। इस कारण वह भूख होने पर भी भोजन करने से कतराता रहता है।
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पित्ताशय पथरी के खतरे:
आधुनिक चिकित्सा पद्धपित के डॉक्टर्स का कहना है कि—
- 1. पित्त की नली में पथरी होने से पीलिया और गंभीर सर्जिकल स्थिति भी उभर सकती है।
- 2. इससे संक्रमण, मवाद बनने और पित्ताशय में छेद होने के कारण पेरिटनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) भी सकता है।
- 3. पेनक्रियाटाइटिस जैसी जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
- 4. पित्ताशय में कैंसर हो सकता है।
- 5. पित्ताशय पथरी से पीड़ित मरीजों के 6 से 18 प्रतिशत मामलों में आजीवन कैंसर पनपने का खतरा रहता है, जो खासतौर पर उत्तर भारत में ज्यादा देखे गए हैं।
- 6. पित्ताशय पथरी के जानलेवा लक्षणों को देखते हुए शल्य चिकित्सकों द्वारा हमेशा यही सलाह दी जाती है कि लक्षणों का इंतजार किए बगैर रोग का पता चलते ही इसकी सर्जरी करा लें।
पित्ताशय पथरी पेशेंट को कब तुरंत डॉक्टर को दिखायें?
पित्ताशय पथरी से पीड़ित पेशेंट में अगर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें, तो अविलम्ब डॉक्टर को दिखाएं:-
- 1. पेट में दर्द इतना तेज होता है कि आप सीधे नहीं बैठ सकें।
- 2. त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ जाना।
- 3. पेट में दर्द के साथ ठंड लगकर तेज बुखार आना या उल्टी आना उपचार।
पित्ताशय की पथरी का उपचार:
(1) आधुनिक चिकित्सकों का मत: (इस मत से मेरी सहमति नहीं है।)
गॉल ब्लैडर को निकालने के लिए की जाने वाली लेप्रोस्कोपी सर्जरी को कोलेसिस्टेक्टॉमी कहते हैं। इसके द्वारा सर्जरी कराने पर मरीज को अस्पताल में सिर्फ एक या दो दिन रहना पड़ता है। गॉल ब्लैडर निकालने से हमारे पाचन तंत्र पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि गॉल ब्लैडर में पित्त एकत्रित हुए बगैर भी आंत तक पहुंचता रहता है। किडनी स्टोन के मामले में ज्यादातर पथरी दवाइयों के सेवन से ही निकल जाती है, लेकिन गॉल ब्लैडर स्टोन सहजता से नहीं निकलता है। इसलिए गॉल ब्लैडर स्टोन को किडनी स्टोन नहीं समझना चाहिए।
(2) आयुर्वेद एवं होम्योपैथी में उपचार है:
- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में पित्ताशय की पथरी के बारे में आमतौर पर यह भ्रांति फैली हुई है या जानबूझकर फैलाई हुई है कि एक बार पित्ताशय में पथरी बनना शुरू हो गयी या पथरी बन गयी तो उसका कोई इलाज ही नहीं है। इसलिये पित्ताशय का ऑपरेशन ही एकमात्र उपचार है।
- इस भ्रांति के कारण अधिकतर रोगी तुरंत ऑपरेशन करवा लेते हैं और फिर जीवनभर भुगतते रहते हैं।
- इसका मूल कारण है-आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी कारगर चिकित्सा पद्धतियों के प्रति केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय पर आधुनिक चिकित्सा पद्धति को डॉक्टरों का कब्जा है और उनके द्वारा दूसरी चिकित्सा पद्धतियों के प्रति सौतेला रवैया देखा जा सकता। जिसके चलते आयुर्वेद और होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धतियों की विशेषताओं का पर्याप्त प्रचार-प्रसार नहीं हो पाता है और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के निष्कर्षों को ही अन्तिम सत्य मान लिया जाता है। जबकि कोई भी चिकित्सा पद्धति सम्पूर्ण नहीं होती है।
(3) मेरा अनुभव-इलाज सम्भव है और ऑपरेशन पहला नहीं, अंतिम विकल्प है:
यह कड़वा सच है कि अभी तक प्राप्त ज्ञान के अनुसार संसार में कोई भी चिकित्सा पद्धति बिना ऑपरेशन के पित्ताशय की थैली की कथित पथरी को स्थूल रूप में बाहर नहीं निकाल सकती है।
इसके बावजूद जो भी लोग यह दावा करते हैं कि पित्त की थैली से पथरी बाहर निकाली जा सकता है, वे 100% डींग हांकते हैं। यानी लोगों से धन ऐंठने के लिये झूठ का प्रचार (Promotion of lies to make money) करके लोगों को गुमराह करते हैं। ऐसे निराधार दुष्प्रचार को कुछ अज्ञानी लोग आगे बढाते हैं, जो बोलते और सोशल मीडिया पर या कहीं भी लिखते रहते हैं कि उनके द्वारा अपनी या किसी अपने परिचित की पित्त की थैली की पथरी फलां से निकलवाई थी।
जहां तक ऑपरेशन से पित्त पथरी को निकालने का सवाल है तो यह समझना जरूरी है कि पित्ताशय के ऑपरेशन का मतलब होता है। पित्ताशय को ही काट कर शरीर से बाहर फेंक देना। ऑपरेशन के बाद क्या होता है? इस बात का आम व्यक्ति कोई ज्ञान नहीं होता है। यह सिर्फ भुक्तभोगी ही जानते हैं कि उसे क्या और कितनी तकलीफें होती हैं। अतः मेरा निर्देशक वाक्य यही है कि ‘ऑपरेशन पहला नहीं, अंतिम विकल्प है।’ इसलिये ऑपरेशन करवाने की जल्दबाजी नहीं करें।
हॉं यह 100% असत्य है कि पित्ताशय की थैली की पथरी का केवल सर्जरी ही इसका एक मात्र इलाज है। यह एक भ्रम है। बल्कि सच यह है कि बिना ऑपरेशन के भी पित्त की थैली की पथरी से मुक्ति पायी जा सकती है। जिसको समझने के लिये सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि पित्ताशय पथरी है क्या?
वास्तव में पित्ताशय की थैली में कोई पथरी होती ही नहीं होती, बल्कि हकीकत यह है कि पित्ताशय में पित्त, कोलेस्ट्रॉल या अन्य तरल द्रव्य/पदार्थ सूख कर पथरी जैसे कठोर बन जाते हैं। जिन्हें शुद्ध, ताजा एवं ऑर्गेनिक देशी जड़ी-बूटियों के उचित मिश्रण तथा लक्षणानुसार उचित होम्योपैथिक दवाइयों का उचित शक्ति/मात्रा में लम्बे समय तक लगातार सेवन करवाने से पित्ताशय की थैली में जमे द्रव्यों को फिर से मुलायम करके, पिघलाया जा सकता है। जिससे पित्त पथरी रूपी सूखे द्रव्य/पदार्थ पिघल कर पूर्ववत द्रव्य अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं और इस प्रकार कथित पित्ताशय पथरी से पेशेंट को मुक्ति मिल जाती है। लेकिन इससे भी पथरी निकलती नहीं है। हां जांच रिपोर्ट में अवश्य यह प्रमाणित हो जाता है कि पित्त पथरी नहीं है।
भ्रामक तथ्य-पित्ताशय की थैली की पथरी का सर्जरी के अलावा कोई इलाज नहीं:
पित्ताशय की पथरी के उपचार की उक्त प्रक्रिया में बेशक लम्बा समय लग सकता है। उपचार के दौरान जो पेशेंट धैर्यपूर्वक दवाइयों का सेवन जारी रख सकते हैं, उन्हें बिना ऑपरेशन पित्ताशय की थैली की पथरी से से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उनका पित्ताशय भी बच जाता है। पित्ताशय शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता है और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान बेशक कुछ भी दावा करता हो, मगर पित्ताशय निकलवा चुके पेशेंट्स के अनुभवों को आधार मानें तो पित्ताशय के बिना जीवन सुगम यानी प्राकृतिक नहीं रह पाता है। अनेकों पेशेंट्स को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऑपरेशन के बाद क्या होता है? यह केवल भुक्तभोगी ही बता सकते हैं। अत: इस गुमराही से खुद बचें और दूसरों को भी बचाएं कि “पित्ताशय की थैली की पथरी का सर्जरी के अलावा कोई इलाज नहीं।”
आयुर्वेदिक उपचार:
1. गुडहल (Hibiscus): गुडहल के फूलों का शुद्ध और ऑर्गेनिक (Organic) पाउडर 1 चम्मच/टी स्पून (पथरी की अवस्था और आकार के अनुसार उचित मात्रा में) रात को सोते समय खाना खाने के कम से कम एक डेढ़ घंटा बाद गुनगुने पानी के साथ फंकी लेते रहें। इसका स्वाद हलका कड़वा होता है। यद्यपि बुहत अधिक कड़वा भी नहीं होता है। अत: इसके कड़वे स्वाद को सहने के लिये अपने आप को तैयार रखें। इसके सेवन के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। पाउडर लेने के बाद सीने में अचानक बहुत तेज़ दर्द हो सकता है। जैसे हार्ट अटैक आ जायेगा। यह दर्द पथरी टूटने का हो सकता है। इसके प्रयोग के दौरान पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें। अगर पित्त की पथरी बड़ी है तो पथरी गलने/पिघलने या टूटते समय दर्द भी हो सकता है। इसलिये अपने स्वैच्छिक निर्णय से ही आप इसका प्रयोग को करें।
नोट:1-यहां प्रस्तुत सामग्री के आधार पर, बिना किसी डॉक्टर की सलाह के खुद ही, अपना उपचार करना उचित नहीं है।2-लेख काफी लम्बा हो गया है। अत: पित्ताशय की थैली के होम्यापैथिक उपचार के बारे में अलग से उपयोगी सामग्री प्रस्तुत की जायेगी।