सुखद दाम्पत्य जीवन के लिये अनुभवसिद्ध नुस्खा: आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
सुखद दाम्पत्य जीवन के लिये अनुभवसिद्ध नुस्खा:
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
#वैधानिक सूचनाः यहां दी गयी सामग्री केवल पाठकों के ज्ञानवर्धन और जागरूकता हेतु दी गयी है। अपने स्थानीय चिकित्सक की राय के बिना खुद अपना उपचार नहीं करें।
आमतौर पर अधिकतर स्त्री-पुरुष अपने वैवाहिक जीवन में कभी न कभी ऐसी अनेक प्रकार की यौन समस्याओं का सामना करते हैं, जिनके कारण उनका दाम्पत्य जीवन नीरस हो जाता है। जीवन भार मालूम पड़ने लगता है। शर्म और संकोच के कारण अधिकतर लोग इन्हें किसी को नहीं बतलाते हैं या गलत उपचारकों के चक्कर में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। ऐसी ही कुछ तकलीफों का नीचे उल्लेख किया जा रहा है:-
स्त्रियों से सम्बन्धित तकलीफें:
1. श्वेद प्रदर: इसके कारण स्त्री की यौनेच्छा मर जाती हैं और संभोग के दौरान योनि ढीली/लसलसी सी रहती है। योनि में जलन या चिरमिराहट होती है। जिससे स्त्री-पुरुष दोनों को ही सुखद सहवास का वांछित यौनसुख नहीं मिल पाता है। विशेष रूप से पुरुषों को श्वेत प्रदर पीड़ित स्त्री के साथ सहवास करने में कोई रुचि नहीं रहती है। अत: ऐसी स्थिति में अनेक पुरुष, स्त्री से विमुख हो जाते हैं।
2. विलम्बित यौनोत्तेजना: प्रकृति का अनुक्रम ही इस प्रकार है कि सामान्यत: स्त्री विलम्ब से उत्तेजित होती है और विलम्ब से ही चर्मोत्कर्ष पर पहुंचती है। यदि इसके साथ—साथ किसी मानसिक या शारीरिक वजह से स्त्री की यौनोत्तेजना अधिक विलम्बित होने लगती है तो विलम्ब से यौनोत्तेजना उत्पन्न होने के कारण अधिकतर स्त्रियां यौन सुख से पूरी तरह वंचित हो जाती हैं। क्योंकि अधिकतर सामान्य स्वस्थ पुरुष भी ऐसी स्त्रियों के चर्मोत्कर्ष पर पहुंचने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं।
3. असमय यौनेच्छा की कमी या समाप्ति: 30 से 45 साल की आयु में ही संभोग की अनिच्छा।
4. चिड़चिड़ापन: यौन इच्छा के अभाव के साथ स्त्री के दैनिक व्यवहार में गुस्सा एवं चिड़चिड़ापन।
5. योनि शैथिल्यता: यानी प्रजनन अंगों में ढीलापन।
पुरुषों से सम्बन्धित तकलीफें:
1. सहवास के दौरान यकायक लिंग में शिथिलता या ढीलापन।
2. शीघ्रपतन यानी स्तम्भन शक्ति का अभाव या कमी। चर्मोत्कर्ष से पहले ही वीर्य स्खलन हो जाना।
3. वीर्य की कमी: संभोग के दौरान वीर्य की कुछ बूंद ही निकलना।
4. वीर्य का पतलापन: युवावस्था में ही वीर्य का पतलापन।
5. संभोग की अनिच्छा, कमजोरी, घबराहट, सांस फूलना, चिड़चिड़ापन आदि।
6. स्वत: वीर्यपात: नींद में स्वप्न या बिना स्वप्न या कामुक विचारों या रोमांस के दौरान या मलत्याग के समय स्वत: ही वीर्य स्खलित हो जाना।
7. हस्तमैथुन के दुष्परिणामस्वरूप लिंग की नसों में कमजोरी होना।
8. नपुंसकता: वृद्धावस्था यानी 65 वर्ष की आयु से पहले ही सम्पूर्ण रूप से या यदाकदा यौनोत्तेजना में कमी, अनिच्छा या समाप्ति।
9. मानसिक दुर्बलता के कारण या किसी अन्य वजह से यौन सम्बन्ध बनाते समय सेक्स में असफलता का भय।
उपरोक्त सभी या कुछ अन्य समस्याओं का होम्योपैथी एवं देशी जड़ी बूटियों में स्थायी समाधान संभव है। जिसके लिये मैं होम्योपैथी की दवाइयों तथा देशी जड़ी बूटियों का उचित मात्रा में निर्धारित रीति से पेशेंट को सेवन करवाता हूं। मगर यहां पर यह स्पष्ट करना जरूरी है कि होम्योपैथी की दवाइयां तो प्रत्येक पेशेंट के मानसिक और शारीरिक लक्षणानुसार ही दी जा सकती हैं। जिसका चयन और खुराक का निर्धारण किसी अनुभवी होम्योपैथ द्वारा पेशेंट से विस्तृत पूछताछ करके ही किया जाना संभव है। भारत में पैदा होने वाली 30-40 देशी जड़ी बूटियां भी एक सीमा तक इन समस्याओं के निराकरण में विशेष लाभकारी हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख का मेरा अनुभवसिद्ध नुस्खा जनहित में यहां प्रस्तुत है:-
नोट: इस नुस्खे का लाभ उन्हीं पेशेंट्स को मिलेगा, जिनकी पाचन क्रिया स्वस्थ और सही है। साथ ही जो किसी प्रकार का नशा नहीं करते हैं। अन्यथा इन पर खर्चा करना व्यर्थ है।
सामग्री:
01. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक अतिबला के बीच का पाउडर-25 ग्राम।
02. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक अश्वगंधा का पाउडर-50 ग्राम।
03. शुद्ध असली उटंगन के बीज का पाउडर-25 ग्राम।
04. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक काली तुलसी के पत्तों का पाउडर-50 ग्राम।
05. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक काली तुलसी के बीजों का पाउडर-25 ग्राम।
06. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक कौंच बीजों का विधिवत शोधित पाउडर-100 ग्राम।
07. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक गोखरू (बड़ा) का पाउडर-50 ग्राम।
08. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक निर्गुण्डी के पत्तों का पाउडर-25 ग्राम।
09. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक महाबला के बीज का पाउडर-25 ग्राम।
10. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक विदारी कंद का पाउडर-50 ग्राम।
11. शुद्ध असली वंशलोचन का पाउडर-25 ग्राम।
12. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक शतावरी का पाउडर-50 ग्राम।
13. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक सफेद मूसली का पाउडर-50 ग्राम।
14. शुद्ध, ताजा और ऑर्गेनिक सेमल कंद का पाउडर-50 ग्राम।
कुल वजन 300 ग्राम।
बनाने की विधि:
उक्त सभी दवाइयों को बारीक पीस छान कर कपड़छन करके कांच की सूखी बोतल या हवाबंद प्लास्टिक की थैली में भरकर रख लें।
सेवन विधि:
स्त्री-पुरुष दोनों को समान रूप से सामान्यत: 5-5 ग्राम पाउडर सुबह खाली पेट, नाश्ते से आधा घंटा पहले और शाम को भोजन के एक घंटा बाद, लेकिन सोने से एक घंटा पहले गुनगुने दूध में घोलकर पियें या दूध से फंकी लें। जिन पुरुषों को शीघ्रपतन, स्वप्नदोष एवं स्वत: वीर्यपात और स्त्रियों को श्वेत प्रदर की समस्या हो उन्हें शाम को गुनगुने दूध से नहीं, बल्कि उबले हुए ठंडे दूध से सेवन करना चाहिये।
अधिक या अतिरिक्त जानकारी हेतु बिना संकोच मेरे हेल्थ वाट्सएप नं. 8561955619 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
लेखन दिनांक: 17.11.2019
निवेदनः मरीजों की संख्या अधिक होने और समय की कमी के कारण, मैं, मुझ से सम्पर्क करने वाले सभी मरीजों का उपचार करने में असमर्थ हूॅं। अतः संभव हो तो कृपया किसी स्थानीय डॉक्टर/काउंसलर से सम्पर्क करें।