गुदाद्वार, योनिद्वारा, आंखों, होठों तथा नाक के त्वचा और श्लेष्मिक झिल्ली के मिलन वाले किनारों में जख्म, फटन, चिटकन, दरार का सफल एवं आसान होम्योपैथिक इलाज
अनेक लोगों को उनकी त्वचा और श्लेष्मिक झिल्ली (mucous membrane) के मिलने वाले हिस्सों अर्थात किनारों पर क्रेक या फटन या जख्म हो जाते हैं, कभी न भरने वाली दरारें पड़ जाती हैं। जो बाद में अनेक बार दर्दनाक या लाइलाज रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे पीड़ित लोगों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में संतोषजनक समाधान नहीं मिल पाता है, तब वे थक-हारकर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी में समाधान तलाशते हैं।
मैंने ऐसे कई दर्जन पेशेंट्स का सफल उपचार किया है। सर्वसाधारण की जानकारी हेतु बतलाया जाना आवश्यक समझता हूं कि होम्योपैथी में नाइट्रिक एसिड या एसिड नाइट्रिक नाम से जानी जाने वाली दवाई का इस प्रकार के रोगी की बीमारी की स्थिति एवं अवस्थानुसार, उचित शक्ति में सेवन कराने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं।
कुछ उदाहरण:
गुदाद्वार, योनिद्वारा, आंखों, होठों तथा नाक के त्वचा और श्लेष्मिक झिल्ली के मिलन वाले किनारों पर जख्म, फटन, चिटकन एवं दरार। जिन्हें त्वचा का क्रेक होना भी कहा जा सकता है।
इस प्रकार की सभी तकलीफों में लक्षणानुसार होम्योपैथी की नाइट्रिक एसिड नामक दवाई अकेली ही या रटानिया, Condurango के साथ तथा कुछ बायोकेमिक साल्ट्स के साथ मिलकर आरोग्य प्रदान करती है।
अत: ऐसी तकलीफों से पीड़ित लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है। यह समस्या लाइज नहीं है। अपने निकट के किसी अनुभवी होम्योपैथ से सम्पर्क किया जा सकता है।-14.10.2018