ओंगा: ताउम्र दांत बने रहेंगे और दांतों का कोई रोग नहीं होगा।
ओंगा: ताउम्र दांत बने रहेंगे और दांतों का कोई रोग नहीं होगा।
ओंगा-1: ताउम्र दांत बने रहेंगे और दांतों का कोई रोग नहीं होगा।
यदि बचपन से ही प्रतिदिन ओंगा की जड़ की दातून की जाये तो ताउम्र दांत बने रहेंगे और दांतों का कोई रोग नहीं होगा।
नोट: हम में जो अपना बचपन और दांतों का स्वास्थ्य खो चुके उनके लिये दो सुझाव:
- (1) अपने बच्चों या बच्चों के बच्चों को ओंगा की जड़ की दातून उपलब्ध करवाएं। और
- (2) जब जगे तब ही सवेरा। अतः दांतों की बचीखुची सेहत बचानी है तो आज से ही ओंगा की जड़ की दातून करना शुरू कर सकते हैं।
ओंगा-2: भूख बढाता है।
इन दिनों अनेकों ऐसे लोग मिल जायेंगे, जिन्हें भूख ही नहीं लगती और लगातार गैस बनती रहती है। जिसके कारण ऐसे लोगों का स्वास्थ्य लगातार गिरता जाता है। उनके लिये ओंगा बहुत उपयोगी औषधि है।
ओंगा का पंचांग अर्थात ओंगा के पांचों अंग, यानी जड़, तना, पत्ती, फूल एवं फल को कूट-पीसकर 200 मिलीलीटर पानी में उबाल कर का क्वाथ बनायें। यानी तब तक उबालें, जब तक पानी 50 मिलीलीटर शेष रह जाये। इसे कुछ दिनों तक सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे जहां एक ओर पाचक रसों की वृद्धि होकर भूख लगने लगेगी या भूख बढने लगेगी, वहीं दूसरी ओर हायपरऐसिडिटी की तकलीफ में भी आचश्चर्यजनक लाभ होगा।
ओंगा-3: कान की तकलीफें।
ओंगा की जड़ को पानी से ठीक से धोकर इसका रस निकालें और रस के बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पका लें। पानी जल जाने और तेल शेष रहने पर, इसे छानकर किसी सूखी कांच की शीशी में भरकर रख लें। यह कान की तकलीफों के लिये बेहतरीन ईयर ड्राप तैयार है। छोटे-बड़ों सभी के कानों में इसे दो-दो बूँद डालते रहने से कान निरोग रहते हैं और सुनने की कमी सहित विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है।
…. ओंगा ज्ञान लगातार आगे भी जारी रहेगा।
नोट: यदि ओंगा की उक्त जानकारी अच्छी और उपयोगी लगे तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करवायें और हो सके तो इसे अपने मित्रों को भी शेयर करें।
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, हेल्थ वाट्सएप 8561955619, 09.12.2019.